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सारिका मुकेश |
चाँदपुर,
दिनांकः 25.05.2018. बृजप्रभा साहित्य एवं कला मंच के
तत्वावधान में नटराज रेस्टोरेंट के सभागार में श्रीमती प्रभा त्यागी के सान्निध्य
में एक साहित्यिक सम्मान समारोह, काव्य-गोष्ठी एवं पुस्तक लोकार्पण
कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता सहारनपुर से पधारे सुप्रसिद्ध
गीतकार श्री राजेन्द्र राजन ने की एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार डा.
बुद्धिनाथ (देहरादून) रहे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. करन सिंह चौहान
(एसोसिएट प्रोफ़ेसर, गुलाब सिंह कॉलेज, चाँदपुर) थे। इस
अवसर पर श्री अवनीश त्यागी, श्रीमती रचना त्यागी, श्रीमती नीलिमा त्यागी, श्री राजेश त्यागी, श्रीमती सुनीता त्यागी, श्री निखिल
त्यागी, श्रीमती पूनम त्यागी, श्रीमती ममता वैश्य, श्रीमती अंशुल अग्रवाल, श्रीमती अंजू त्यागी, श्री सुभाष जावा, श्रीमती सोनिया जावा, श्री
ज्ञान वर्मा, श्री अतुल भाटिया, श्री देवेन्द्र त्यागी, श्री सुरेन्द्र त्यागी, श्री
अनिल त्यागी, श्री राजीव त्यागी, श्री संदीप त्यागी सहित नगर के अनेक साहित्यकार
एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। वहीं बाहर से आने वालों में बिजनौर से पधारे डा.
अजय जनमेजय और डा. अनिल चौधरी, मण्डी धनौरा से श्री संजय
गुप्ता एवं श्रीमती तरंग गुप्ता के अतिरिक्त नयी दिल्ली से श्री हितेश त्यागी,
मेरठ से श्री कपिल त्यागी एवं श्रीमती ममता त्यागी, कपसुआ से श्री मुनीन्द्र
त्यागी, नायकनंगला से श्री किट्टू त्यागी एवं श्रीमती सपना त्यागी, मुरादाबाद से श्री
मुनीश कुमार त्यागी, श्री विशाल त्यागी, श्रीमती रविता त्यागी, श्री अभिषेक त्यागी
एवं श्रीमती मृदुला त्यागी आदि गणमान्य परिजन उपस्थित थे।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में अंग्रेजी की एसोसिएट
प्रोफ़ेसर डा. सारिका मुकेश
के नवीनतम् कविता-संग्रह ‘साँसों के अनुबंध’ और हाइकु-संग्रह ‘शब्द-शब्द
ज़िंदगी’ का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों
द्वारा किया गया। ध्यातव्य रहे कि इसके पूर्व डा. सारिका मुकेश के तीन कविता-संग्रह, चार हाइकु-संग्रह और
अंग्रेजी शिक्षण पर एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। लोकार्पण के पश्चात डा. सारिका
मुकेश ने अपनी नयी पुस्तकों के विषय में बताया और अपने काव्यपाठ का समापन ‘हम सब कारक मात्र यहाँ हैं, वो कर्त्ता सब करे
प्रबन्ध, संग उसी के हम सब प्राणी के, होते
सदा साँसों के अनुबन्ध’ पंक्तियों से किया। राजेन्द्र राजन
ने कहा-न आँसू अलग हैं न राहें अलग हैं, किसी धर्म की भी न
राहें अलग हैं, मगर सोचता हूँ मैं कुछ सिरफिरों की वतन के
लिए क्यों निगाहें अलग हैं। बुद्धिनाथ मिश्र ने कहा-जिसे चाहा नहीं तूने कभी वह
चैन पाया क्या, ये साँसें तेज़ चलती हैं किसी का दिल चुराया
क्या? मुरादाबाद से आए शायर डा. कृष्ण कुमार नाज़ ने कहा-क्या
हुआ तुमको अगर चेहरे बदलना आ गया, हमको भी हालात के साँचे में
ढलना आ गया, चाँद को छूने की कोशिश में तो नाकामयाबी मिली,
मगर नादान बच्चों को उछलना आ गया। इसके अलावा बिजनौर से आए डा. अजय
जनमेजय और डा. अनिल चौधरी, मुरादाबाद के डा. रामवीर सिंह ‘वीर’, बरेली के डा. शिवशंकर यजुर्वेदी तथा चाँदपुर
के श्री सुभाष जावा और श्रीमती नीलिमा त्यागी आदि ने भी अपनी रचनाओं से सभी को भाव
विभोर कर दिया।
द्वितीय चरण में संस्था द्वारा हिन्दी भाषा के उन्नयन
के लिए बहुआयामी सेवाओं हेतु श्री उमाशंकर मिश्र (गाज़ियाबाद), डा. कृष्ण कुमार नाज़, डा. रामवीर सिंह ‘वीर’ एवं
डा. शिव शंकर यजुर्वेदी का एवं हिन्दी सहित अन्य भाषाओं की पुस्तकों के मुखपृष्ठ
को कलात्मक सुन्दरता देने हेतु श्री नरेंद्र त्यागी का माल्यार्पण कर शाल प्रदान
कर सारस्वत सम्मान किया गया।
डा. कृष्ण कुमार नाज़ ने कहा अपने साहित्य, सभ्यता और संस्कृति से
ओतप्रोत इस तरह के कार्यक्रमों की अपनी महत्ता है। ऐसे आयोजनों हेतु हम सबको सहयोग
देना चाहिए जिससे यह प्रक्रिया सतत चलती रहे।
श्री मुकेश त्यागी ने कहा कि संस्था हर वर्ष इस तरह का कम से कम एक
साहित्यिक आयोजन/कार्यक्रम कराने का प्रयास करेगी और नगर के नये/पुराने
लेखकों/कवियों को एक साझा मंच प्रदान करेगी, जिससे वो स्वयं
की प्रतिभा को साहित्यिक जगत् में उजागर कर सकें। इस पर पूरा सभागार तालियों की
गूँज से गूँज उठा और सभी ने सारिका मुकेश को शुभकामनाएँ और बधाइयाँ दी। कार्यक्रम का समापन
करते हुए इस आयोजन में विशेष सहयोग हेतु श्री अवनीश त्यागी
एवं श्रीमती रचना त्यागी को धन्यवाद देते हुए सभी उपस्थितजनों का आभार सारिका मुकेश ने किया। कार्यक्रम का संचालन
श्री मुकेश त्यागी ने किया।
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