वी.आई.टी.,
वेल्लौर (तमिलनाडु) में अंग्रेजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर और
विभाग अध्यक्ष डॉ. सारिका मुकेश जी का जिंदगी से सम्वाद करता चतुर्थ कविता संग्रह
है- ‘सांसों के अनुबंध’, जो संवेदनाओं से भरा हुआ है। नई
दिशा, नई सोच, नया नजरिया पूरी तरह और
साफ-साफ इस संग्रह में दिखाने की कोशिश रही है। इस कविता संग्रह में आप पूरी तरह सम्वाद
में डूबे हुए नजर आएंगे। कविता के जरिए समाज, जीवन, एकांत के पलों के साथ किए सम्वाद को बखूबी अपनी रचनाओं में रचनाकार ने
उकेरा है।
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सारिका मुकेश (कविगण) |
‘सांसों के
अनुबंध’ सारिका मुकेश जी की कविता संग्रह है, जिसमें
उन्होंने अपने अंदर महसूस किए हर सुख-दुख, अनुभूति को लेखन
का रूप दिया है। यह संग्रह कविता "आधुनिक प्रेम" से शुरू होकर "फिर
लीन हो गई एक बूंद" पर समाप्त हो जाता है। आधुनिक प्रेम में उन्होंने आधुनिक
प्रेम को पत्ते पर पड़ी ओस की बूँद जैसा बताया है, जो सूरज की
किरण पाते ही उड़ कर भाग जाती है सदा सदा के लिए और एक हद तक यह सच्चाई है;
आज के समय के हिसाब से। "जीवन का गणित" में जीवन का प्रेम,
घृणा, अच्छाई, बुराई
के भाग को बताया है। उनकी कविता "परिवर्तन" में आज के
मॉडर्न युग को दर्शाया गया है, जहां घरों में पहले दीवारों
पर फ्रेम में पारिवारिक सदस्य रहते थे, आज वहाँ आर्ट पेंटिंग,
चील, तोते, कबूतर ने जगह
बना ली है। आधुनिक जीवन को भी उन्होंने बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया है, अपनी कविता "आधुनिक जीवन" में। "परमात्मा और प्रेम",
"अखबार", "निर्मल मन",
"जीवन चक्र" कविताओं में जीवन की सच्चाई को पूरी तरह
दर्शाया है। आप ये कविताएं पढ़ेंगे तो आप इसमें पूरी तरह डूब जाएंगे । आप अपने
आपको वहाँ महसूस करने लगेंगे।
"आज्ञाकारी
पुत्र" और "आज्ञाकारी पुत्री" में विवाह प्रस्ताव को लेकर पुत्र और
पुत्री के विचारों पर सुंदर कविता लिखी है सारिका मुकेश ने। सबसे ज्यादा मेरे मन
को छू लेने वाली और सटीक सच्चाई लिखी गई
कविता रही-"हिंदी कवि" और "सांसों के अनुबंध"। “हिंदी कवि”,
जिसमें बेचारे हिन्दी कवि के दर्द को बखूबी उतारा गया है। किस तरह
एक कवि दिन-रात आँखें फोड़ कर एक-एक शब्द सलीके से जोड़कर उन्हें संकलित करता है,
फिर अपने ही खर्च पर छपवाता भी है और फ़िर एक-एक प्रति अपने
परिचित/मित्रों को रजिस्टर्ड डाक द्वारा भिजवा कर प्रतिक्रिया की इंतजार में रहता
है-कुछ शुभकामनाएं, कुछ अच्छे शब्द सुनने सुनने को, लेकिन आशा, प्रतीक्षा करते रोज दिन गुजरता जाता है
और कोई जवाब न आने पर उसका मन दुखी होता है, जब किसी को
देखने तक की फुर्सत नहीं होती। खुद फ़ोन करके पूछो तो कोई कहेगा अभी तो कवर ही देखी
है, बाकी नहीं देख पाया...अभी पढ़ा ही नहीं, समय ही नहीं मिला...ऐसे जवाब सुनकर कवि के दिल में जो दर्द उठता होगा शायद
कल्पना भी नहीं की जा सकती। रचनाओं पर प्रशंसा की फुहार, बड़ों
का आशीर्वाद और स्नेह, मित्रों का हृदय से असीम प्यार...कुछ
भी तो नहीं मिलता अब! कभी-कभी यह सोचकर मन रोता है कि साहित्य समाज का दर्पण
कहलाता है, उसे नई दिशा दिखाता है तो फिर उसका सम्मान मात्र
एक चादर, प्रतीक चिन्ह और सर्टिफिकेट में ही सिमटकर क्यों रह
जाता है...दिल को छू लेने वाली कविता है ये और आंखों में दर्द छलका देने वाली
कविता!
सारिका
मुकेश जी ने बहुत से सुंदर सपनों से सजाया है यह 81 कविताओं का संग्रह- "सांसों के अनुबंध"। हर कविता जीवन की
सच्चाई को बयां करती है। "सफल होंगे प्रयास", "अभिलाषा", "अपने-अपने भगवान",
"जीवन एक यात्रा", "मैं
जब भी तुमसे मिलता हूँ" आदि बहुत ही सुंदर कविताएं हैं। "कविता एक
परिभाषा" जीवन के सुख-दुख को समझाती तो "कौन हो तुम" रिश्तों को
बताती हुई खूबसूरत कविताएं हैं। उनकी हर कविता सच्चाई से भरी हुई है। "साँसों
के अनुबंध" कविता संग्रह निश्चित ही सच्चाई को बयां करता है। आज के परिवेश को
दर्शाती और माहौल पर विचार करती सच्चाई से भरी कविताओं का संग्रह है ये! मैंने इसे
बहुत बारीकी से कई बार पढ़ा है। एक-एक शब्द दिल को छू लेने वाला है।मेरी तरफ़ से
सारिका मुकेश जी को बहुत-बहुत धन्यवाद कि उन्होंने मुझे इस कविता संग्रह से रूबरू
होने का मौका दिया। इस कविता संग्रह की सफलता के लिए आपको ढेर सारी शुभकामनाएं और
हार्दिक बधाई।
अंत में- ‘होवे संवाद परमपिता से आओ करें कुछ ऐसा प्रबंध, इससे
पहले कि पूरे हो सांसों के अनुबंध....’ । एक बार पुस्तक
पढ़ने बैठेंगे तो आप इसे छोड़ नहीं पाएंगे। इस पुस्तक की हर कविता आपके दिल और
दिमाग को झकझोर देगी। एक से बढ़कर एक रचना लिखी है रचनाकार ने। निश्चित ही यह
पुस्तक पाठकों के मन को मोह लेगी। प्रकाशक ने पुस्तक को आकर्षक साज-सज्जा के साथ
प्रस्तुत किया है। पाठकों को एक रोचक कविता संग्रह उपलब्ध कराने के लिए सारिका
मुकेश जी को हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनाएं।
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समीक्षक |
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पुस्तक का नाम: साँसों के अनुबंध
लेखक: सारिका मुकेश
प्रकाशक: संजीव प्रकाशन,
दरियागंज, नई दिल्ली
संस्करण: 2018
मूल्य: 200.00
रुपये
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