Saturday, 4 August 2012

"संप्रेषणीयता का सवाल केवल शिल्प और भाषा का सवाल नहीं है! संप्रेषणीयता तो शत-प्रतिशत आदि से लेकर अंत तक मानवीय और प्राकृतिक संबंधों की वजह से ही बनती है और जहाँ इसका अभाव होता है, वहीं संप्रेषणीयता लुप्त हो जाती है!" ---केदारनाथ अग्रवाल  

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